यूक्रेन- रूस भिड़ंत की क्या है असली वजह? दोनों की भिड़ंत का कहर झेल रहे गोड्डावासी।

जब-जब संसार मे युध्द का शंखनाद होता है तब-तब मानव समाज के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है।अभी इस समय एक ऐसी विपत्ति आन पड़ी है जिसका निवारण नहीं हो पा रहा है।दरअसल इस वक्त रूस और यूक्रेन के बीच में भयंकर युद्ध छिड़ चुका है।युद्ध से पहले आपको बता दें कि कुछ दिन पहले से ही इन दोनों देशों के बीच में एक शीत युद्ध की स्थिति थी और जुबानी जंग तेज थी। रूस अब जुबानी जंग पर विराम लगाते हुए इससे एक कदम आगे बढ़ चुका है और जिस चीज का अंदेशा था वही वास्तव में हुआ भी।
रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया और युद्ध की ऐलान कर दी।इस हमले में यूक्रेन के कई शहर पूरी तरीके से प्रभावित हुए हैं।यूक्रेन की राजधानी कीव की हालात गंभीर बताई जा रही है।रूस ने विभिन्न प्रकार के मिसाइल,बम गोले और विध्वंसक हथियार इस्तेमाल करके यूक्रेन के कई हिस्सों को दहला दिया है।इंटरनेट के माध्यम से आपको इस मानव नरसंहार की कई तस्वीरे और वीडियोस देखने को मिल जाएंगे।
युद्ध से किसी भी देश को फायदा नहीं होने वाला है बल्कि इसका नुकसान बेशुमार होगा।अप्रत्यक्ष रूप से इस युद्ध में विश्व के कई देश जुड़े है।रूस का समर्थन देने के लिए चीन तत्पर है वही यूक्रेन को अमेरिका,फ्रांस,ग्रेट ब्रिटेन, कनाडा एवं अन्य कई देशों का साथ प्राप्त है।वर्तमान स्थिति में विश्व दो गुटों में बटी हुई है।
यूनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइजेशन(UNO) का निर्माण दूसरे विश्वयुद्ध के बाद विश्व में शांति व्यवस्था को बाहल करने के लिए हुई थी मगर इस वक्त यह संस्था अपनी उद्देश्य को पूरा करने में अक्षम दिखाई दे रही है।UNO भी इस मुद्दे को सुलझा नहीं पा रही है।
युद्ध का कारण यह कि रुस नहीं चाहता है कि यूक्रेन को नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन(NATO) की सदस्यता प्राप्त हो दूसरी तरफ यूक्रेन NATO की सदस्यता प्राप्त करने के लिए बहुत उत्सुक है।आपके मन में यह सवाल होगा कि आखिर NATO क्या है?इसमें यूक्रेन के शामिल होने से आखिर रूस इतना क्यों भड़का हुआ है?
बात यह है कि NATO उन देशों की समूह है जिसे रूस का दुश्मन माना जाता है।NATO से लगभग 30 देश जुड़े है।यूक्रेन रूस के पश्चिमी दिशा में स्थित है और दोनो एक दूसरे के पड़ोसी है।रूस और यूक्रेन एक दूसरे के साथ सीमा साझा करती है।NATO में सबसे मुख्य देश अमेरिका को मानी जाती है और अप्रत्यक्ष रूप से वे इस समूह का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।यूक्रेन अगर NATO की सदस्यता प्राप्त कर लेती है तो अमेरिका आसानी से यूक्रेन की धरती को रूस के खिलाफ मिलिट्री गतिविधियों का निष्पादन करने के लिए कर सकती है।रूस नहीं चाहता है कि ऐसा कुछ हो।
खैर इस युद्ध में सभी देश अपनी-अपनी फायदा देख रहे हैं मगर इससे नुकसान तो मानव जाति को हो रही है।यूक्रेन में बसे भारत के नागरिक पूरी तरीके से इस युध्द से पीड़ित और वे काफी चिंतित है।यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से से मदद की गुहार लगा रहे हैं।भारत के विभिन्न हिस्सों के रहने वाले लोग यूक्रेन में फंसे हुए है।जानकारी के अनुसार भारत के 18000 लोग इस समय यूक्रेन में है।
यूक्रेन मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एक उन्नत देश मानी जाती है।विश्व भर के छात्र यहां मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए आते हैं।इस समय जो भी छात्र पढ़ाई करने के लिए भारत से यूक्रेन गए हुए थे वे सभी बुरी तरह वहाँ फश चुके हैं।यूक्रेन में फंसे हुए छात्रों में से हमारे झारखंड के गोड्डा जिले से भी कई छात्र हैं।गोड्डा जिले से जो स्टूडेंट यूक्रेन में फंसे हुए हैं उनका नाम शिवम सौरव,राजवीर, आदित्य और दानिश बताया जा रहा है।जब इन छात्रों से बात हुई तो उन्होंने बताया कि वहां इनकी स्थिति बहुत खस्ता है।इन्हें मूलभूत सुविधाओं जैसे कि राशन पानी के लिए जूझना पड़ रहा है।